डेक्क। बक्सर। डुमराँव के एक निजी अस्पताल में प्रसव के लिए भर्ती कराई गई एक प्रसूता की प्रसव के तुरंत बाद बच्चे की मौत हो गई। प्रसूता और उसके पति ने अस्पताल के डॉक्टरों एवं कर्मियों पर जबरन और अप्राकृतिक प्रसव कराने एवं लापरवाही बरतने से मौत होने का आरोप लगाया है। उसने अस्पताल संचालक और स्टाफ के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर कार्रवाई करने की मांग की है।
बक्सर ज़िले के सिमरी थाना क्षेत्र के दुल्लहपुर निवासी जानकी देवी पति विकास कुमार सिंह ने बताया कि इसी साल बीते 28 जनवरी को मैं आठ महीने इक्कीस दिन की गर्भवती थी। उसी दिन सुबह के लगभग 11 बजे नियमित जाँच के लिए अपने पति के साथ मैं डुमराँव स्थित प्राईवेट अस्पताल डा० रघुवीर सिंह चिकित्सालय गई। उस समय मैं बिल्कुल सामन्य और स्थिर थी। मुझे प्रसव पीड़ा नहीं हो रहा था। क्योंकि इसी अस्पताल में पहले की जाँच में मुझे प्रसव का समय सात फरवरी 2024 निर्धारित किया गया था। इसलिए मैं निश्चिंत भी थी कि प्रसव में अभी काफी समय बाकि है। मेरे अस्पताल में पहुँचते ही डॉ0 मोनिका सिंह ने पहले जाँच कर कुछ दवाइयाँ सेवन करने की सलाह दी और निश्चिंत रहने को कहा। फिर थोड़ी देर बाद डा० साकार कुमार से बातचीत करने के बाद मेरे पति को बोलने लगी की प्रसव आज ही होगा। और फिर नर्स की सहायता से मुझे प्रसव कक्ष लेकर चली गई। मुझे प्रसव पीड़ा नहीं हो रहा था। फिर दर्द बढ़ाने के लिए सुई-दवाइयाँ चलाई गई। बाद में ज़ोर जबरदस्ती से बच्चे को मेरे गर्भ से खींच लिया गया। मैं दर्द से तड़प रही थी। रक्तश्राव अत्यधिक होने लगा। मैंने देखा कि मेरे नवजात बेटे की थोड़ी देर बाद मौत हो गई। इसके बाद मैं बेहोस हो गई।
इस घंटना को लेकर पीड़िता पति विकास कुमार सिंह बताते हैं कि मेरी पत्नी जब घर से अस्पताल पहुँची तो इसके शरीर में लगभग 12 ग्राम% हीमोग्लोबिन था लेकिन जबरन प्रसव के बाद उसके शरीर में 2 से 3 ग्राम बच गया। जब लगभग 5 घंटे बीत गए, मेरी पत्नी की हालत बिगड़ने लगी और अस्पताल के कर्मचारियों को लगा कि अब ये नहीं बचेगी तो डा० साकार कुमार ने मुझे उनके संपर्क के अस्पताल माँ शिवरात्री हेल्थ हॉस्पिटल, बक्सर को रेफर कर दिया। जहाँ किसी तरह निजी एंबुलेंस से माँ शिवरात्री हेल्थ हॉस्पिटल पहुँचे। वहाँ मेरी पत्नी को बिना किसी जाँच के सीधे ICU में डाल दिया। ऑक्सिजन चढ़ रहा था वहीं रक्त का बहना पहले से अधिक हो गया था।
पीड़िता जानकी देवी आगे कहती हैं कि इस दौरान डॉक्टर और नर्सों ने मेरे पास मेरे किसी भी परिजनों को सटने नहीं दिया। दो-तीन बार मेरे यूटेरस से साथ छेड़छाड़ किया गया। खून का बहना लगातार जारी था। फिर बाद में डॉक्टरों ने मेरे पति को कहा कि इसकी सांसें अब रुकने लगी है, शरीर का सारा खून बह चुका है। बीपी बिलकुल नीचे आ चुका है। इसका बचना मुश्किल है। लेकिन फिर भी वे अवैध बील बनाने के लिए मुझे हायर सेंटर रेफर नहीं कर रहे थे। फिर बाद में काफी बहस के बाद मुझे रेफर किया गया। और आखिर में मुझे उत्तर प्रदेश के बलिया स्थित आकाश नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया। वहाँ तक पहुँचते-पहुँचते मेरे शरीर में सिर्फ 1.5 ग्राम% हेमोग्लोबिन बच गया। वहाँ मुझे लगभग 8 ग्राम% खून चढ़ाया गया और 6 दिनों तक भर्ती रहने के बाद बमुश्किल मेरी जान बची।
आकाश नर्सिंग होम के डायरेक्टर डॉ0 एच के सिंह के ने बताया कि मरीज बेहद गंभीर अवस्था में मेरे पास पहुँची। इसे बचाना मेरे लिए चुनौती बन गया था। मरीज की स्थिति को लेकर कहते हैं कि हो सकता है कि पीछे की अस्पतालों में सुविधा की कमी रही होगी। ये केस लेबर रूम में ही मैनेज हो जाते, ICU में रखने की जरूरत नहीं थी। लेकिन सभी ने समय बर्बाद कर इस केस को बेहद गंभीर स्थिति में पहुँचा दिया। लेकिन अब ये खतरे से बाहर है। 75% रिकवर कर चुकी है, इलाज़ चल रहा है बाकी के 25% भी जल्द ही कर लेंगी।
इस मामले को लेकर डा० रघुवीर सिंह चिकित्सालय के डॉ0 साकार कुमार ने कहा कि ये आरोप झूठा है वहीं माँ शिवरात्री हेल्थ हॉस्पिटल के रिसेप्शनिस्ट संध्या ने कहा कि मरीज की हालत हमसे पहले की अस्पताल ने बिगाड़ी थी। वे वहीं से गंभीर आई थी। वहीं रक्तश्राव को रोकने को लेकर वे बात को घुमाने लगी।
इधर इस घटना को लेकर बक्सर के सीएस डॉ सुरेश चन्द्र सिन्हा ने कहा कि मामले की जानकारी मिली है। संबंधित पेपर देखने के पश्चात जाँच कर अस्पतालों पर उचित कार्यवाही की जाएगी।