IC 814 प्लेन हाइजैक की साजिश की कहानी

नई दिल्ली: 1999 में इंडियन एयरलाइंस के प्लेन IC-814 के हाइजैक पर आधारित डायरेक्टर अनुभव सिन्हा की वेब सीरीज IC 814: The Kandahar Hijack को लेकर सोशल मीडिया में जबरदस्त बहस छिड़ी हुई है. यूं तो इस घटना को करीब 25 साल बीत चुके हैं, लेकिन इस कांड ने 7 दिन तक पूरे देश की धड़कने तेज कर दी थीं. इस प्लेन हाइजैक का एक मुंबई कनेक्शन भी है. एक्सपर्ट कहते हैं कि इस प्लेन को पहले मुंबई से हाईजैक करने की प्लानिंग थी. वहीं, तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी भी आतंकियों के टारगेट पर थे. आतंकियों ने उनके काफिले पर हमले की साजिश रची थी. चलिए विस्तार से जानते हैं हाईजैक की कहानी किताब 'फ्लाइट इनटू फियर: द कैप्टन स्टोरी' औऱ फॉरेन पॉलिसी एक्सपर्ट के अनुसार- 24 दिसंबर 1999 को पूरी दुनिया की तरह तब के मुंबई क्राइम ब्रांच प्रमुख डी. शिवानंदन भी अपने दफ्तर में टीवी पर IC 814 की हाइजैकिंग से जुड़े कवरेज देख रहे थे. हाइजैकिंग की घटना के बाद मुंबई में भी पुलिस सतर्क हो गई थी. पूरे घटनाक्रम पर बारीकी से नजर रखी जा रही थी. एकाएक शिवनंदन से मिलने रॉ के अधिकारी हेमंत करकरे पहुंचे. डी. शिवानंदन ने इसके बाद मुंबई क्राइम ब्रांच की सभी यूनिट्स के अधिकारियों की तुरंत मीटिंग बुलाई. एक टीम को तत्काल मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर के पास भेजा गया, ताकि मुंबई में जो हाईजैकर्स के साथी के बारे में करकरे ने बताया, उसकी कॉल डिटेल और टेलीफोन टॉवर आईडी के बारे में जानकारी मिल सके. फिर कॉल की मॉनिटरिंग शुरू हुई. करीब तीन दिन तक कॉलर की बातचीत सुनने के बाद मुंबई क्राइम ब्रांच की टीम इतना ही जान पाई कि जो शख्स मुंबई से कॉल कर रहा है, उसके घर के आसपास मस्जिद है. क्योंकि कॉल पर अजान की आवाज आ रही थी. उस इलाके में भैंसें भी बहुत हैं, क्योंकि भैंसों की भी आवाज लगातार आ रही थी. बातचीत सुनने की उसी प्रकिया में मुंबई क्राइम ब्रांच टीम को एक महत्वपूर्ण जानकारी 28 दिसंबर, 1999 को शाम 6 बजे पता चली करीब 45 घंटे बाद पाकिस्तान से मुंबई कॉल आई और कॉल करने वाले को दक्षिण मुंबई के भिंडी बाजार में स्थित शालीमार होटल के बाहर आने और वहां एक हवाला ऑपरेटर से एक लाख रुपये कलेक्ट करने को कहा गया. मुंबई आई इंटेलिजेंस एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस (रॉ) की टीम और मुंबई क्राइम ब्रांच टीम ने फौरन इसकी सूचना केद्रीय गृह मंत्रालय को दिल्ली में दी. करीब 20 मिनट तक दिल्ली में मीटिंग हुई. फैसला लिया गया कि मुंबई के कॉलर को रकम लेने के दौरान तत्काल गिरफ्तार न किया जाए, क्योंकि हाईजैकर्स ने यात्रियों को तब तक छोड़ा नहीं था. काठमांडू नहीं, मुंबई में होना था प्लेन हाइजैक, वाजपेयी थे टारगेट, समझिए IC 814 की साजिश को कैसे किया गया डिकोडनेपाल की राजधानी काठमांडू से नई दिल्ली जा रही इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट 814 को 24 दिसंबर 1999 को उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद हाइजैक कर लिया गया था. पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन हरकत-उल-मुजाहिद्दीन ने इस प्लेन को हाइजैक किया था. किताब 'फ्लाइट इनटू फियर: द कैप्टन स्टोरी' के एक हिस्से के मुताबिक, उस वक्त की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को सभी पैसेंजरों की जान बचाने के लिए हाइजैकर्स की मांग माननी पड़ी. सरकार ने इन तीनों आतंकियों को छोड़ने का फैसला किया. तीनों आतंकियों को जेल से निकालकर कंधार ले जाया गया. इसके बाद 31 दिसंबर को पैसेंजर्स की रिहाई हुई, जिन्हें स्पेशल प्लेन से वापस लाया गया. 6 जनवरी 2000 को केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कंधार हाइजैकर्स के असली नाम बताए थे. इनके नाम थे:- -इब्राहिम अतहर (बहावलपुर) -शाहिद अख्तर सईद (कराची) -शनि अहमद काज़ी (कराची) -मिस्त्री जहूर इब्राहिम (कराची) -शाकिर, सुक्कुर सिटी (कराची) गृह मंत्रालय के बयान के मुताबिक, हाइजैकिंग के दौरान IC 814 प्लेन में सवार पैसेंजरों ने पूछताछ में बताया था कि हाइजैकर्स एक-दूसरे को बुलाने के लिए कोडनेम का इस्तेमाल कर रहे थे. वो एक-दूसरे को चीफ, डॉक्टर, बर्गर, भोला और शंकर नाम से बुला रहे थे.