MD IMRAN I WeeHours News
Updated on: September 27, 2024
बिहार: सुपौल में आजकल अजूबा कारनामें हो रहे हैं. जिसे जानकर आप यही कहेंगे कि बेकार में केन्द्र सरकार ने अरबों रुपये खर्च कर मिसाइल बनाए हैं. जी हां आपने बिल्कुल सही सुना. इस घटना को जानकर आप दातों तले अपनी ऊंगली चबा लेंगे वहीं आखिर में मामले में आए मौड़ को जानकर आप दंग रह जाएंगें. चलिए जानते हैं.
दरअसल एक व्यक्ति ने अपने FIR में दावा किया है कि जम्मु & कश्मीर में बैठा एक सैनिक सुपौल के पिपरा में मोटर साईकिल से जा रहे व्यक्ति के कंधे में गोली मार दिया. यानि दो हजार किलो मीटर दूर अपना ड्यूटी कर रहे एक सैनिक ने पिस्टल उठाया और ऐसा निशाना लगाया कि गोली सीधे नेपाल और यूपी के बॉडर को पार करते हुए पटना के बाद सुपौल पहुंचा और फिर पिपरा में रोड पर बाईक से चल रहे व्यक्ति के कंधे में जा घुसा. हजम हुआ? नहीं न? कोई बात नहीं, एक और ट्राई करते हैं. उसी व्यक्ति ने दावा किया कि एक 75 साल के वृद्ध व्यक्ति ने लगभग 30 किलोमीटर दूर बैठे खेत से ऐसा निशाना लगाया कि पिपरा में रोड पर बाईक से चल रहे व्यक्ति के पैर में गोली जा लगी. और पैर टूट गया. क्या हुआ? ये भी हजम नहीं हुआ क्या? चलिए एक और लास्ट बार ट्राई करते हैं. उसी व्यक्ति ने अपने FIR में यह भी दावा किया कि लगभग 40 किलो मीटर दूर अपने ग्राहक के बीच बैठे एक बैंक कर्मी ने वहीं से पिस्तौल उठाए और सीधे पिपरा में रोड पर बाईक से चल रहे व्यक्ति के बांह में गोली मार दी. अब आप सोच रहे होंगे की भला ऐसा संभव हो सकता है क्या? तो मैं भी यही सोच रहा था कि भला ऐसा कैसे हो तकता है. लेकिन सुपौल के पिपरा थाना में ऐसा हुआ है. आप यह भी कह सकते हैं कि थाना अध्यक्ष ने ऐसा होने दिया है. दरअसल 19 सितंबर को दिन के करीब 4 बजे पिपरा थाना क्षेत्र के कटैया और थुमहा के बीच दो बाईक पर पांच लोग सवार होकर जा रहे थे. जहां बीच रोड पर उनके साथ गोलीकांड हो गया. जिसमें 4 व्यक्ति ललन साह, महेन्द्र साह, योगेन्द्र साह और पवन साह घायल हो गए. वहीं पांचवां व्यक्ति उमेश साह बच गए. घायलों को इलाज के लिये अस्पताल में भर्ति कराया जहां अब सभी की हालत खतरे मे बाहर बताई जा रही है.
अब इस घटना को लेकर अगले दिन यानि 20 सितंबर को पांचवां व्यक्ति उमेश साह ने केस करने के लिए पीपरा थाने में आवेदन दिया. जिसमें पहले से जेल में बंद तीन व्यक्ति सहीत कुल 10 लोगों को नामजद किया और 4-5 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया. थाना अध्यक्ष ने उसी डेट में FIR भी दर्ज कर लिया. अब सवाल यहीं से खड़ा होने लगा. FIR में जितने भी व्यक्ति का नाम दिया गया है, सभी ने दावा किया है कि घटना के समय वे कई किलो मीटर दूर अपना अलग अलग काम कर रहे थे. जिसका गवाह भी सभी सबूत के साथ पुलिस के सामने पेश कर रहे हैं. उसमें सबसे बड़ा सवाल तो जम्मु औऱ कश्मीर में तैनात SSB के जवान शशी कुमार सुमन ने पुलिस प्रशासन पर खड़ा कर दिए हैं. जो अपनी बेगुनाही का सबुत पेश कर रहे हैं. उनका मानना है कि पुलिस इसपर अनदेखा कर रही है. वे कमांडेंट कार्यालक का एटेंडेंस सर्टिफिकेट दिखाते हैं. जिसमें दर्शाया हुआ है कि 5 अगस्त से वे लगातार जम्मु औऱ कश्मीर में ड्यूटी पर तैनात है. घटना के दिन भी वे वहां ड्यूटी कर रहे थे, इसका सबूत वे सर्टिफिकेट और CCTV फुटेज दिखाकर कर रहे हैं जबकि FIR में उमेश साह ने दावा किया है कि शशी कुमार सुमन घटना स्थल पर मौजूद थे. मैंने अपने आखों से देखा है. उसने कंधे में गोली मारी. वहीं दूसरा आरोपी 75 वर्षीय राम नारायण गुप्ता कहते हैं कि मैं तो पहले से बुढ़ा व्यक्ति हुं. उस समय मैं गांव में खेत में था. पानी पटा रहा था. इसका गवाह बेचन साह, और विंदेश्वरी साह हैं. जबकि FIR में दिया है कि मैं घटना स्थल पर मैं मौजुद था और मैंने योगेन्द्र साह के पैर में मारी गोली मार दी. वहीं तिसरा व्यक्ति रंजन साह एक बैंक कर्मी हैं. वे बताते हैं कि उस समय मैं हीरा पट्टी में था. ग्राहकों को लोन के लिये मिटींग कर रहा था. इसके सभी कस्टमर गवाह हैं. जबकि FIR में लिखा है कि मैं घटना स्थल पर था और मैंने पिस्तौल से महेन्द्र साह के बांह में गोली मार दी. इसी प्रकार गोविन्द साह, सत्यना० साह, मनीष कुमार, और मनोज साह कहते हैं कि घटना के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं थी. बाद में पता चला. सभी अपने अपने काम के लिये दूर गए हुए थे. हमारे पास इसका गवाह है, लेकिन ज़मीनी विवाद के कारण हमारा विपक्षियों ने हमें केस में फसा दिया.
इस घटना के बाद पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. अब गिरफ्तार व्यक्ति की पत्नी अर्चना देवी ने पिपरा थाना अध्यक्ष और सुपौल SP को एक विनती पत्र लिखा है. जिसमें वे दावा कर रही है कि पति मनोज साह और ससुर राम नारायण साह दोनो खेत में धान पटा रहे थे. वहीं वे आगे कहती हैं कि थाने से पुलिस आई और पति से पुछने लगी कि आप को बाइक चलाना आता है.. इसपर मेरे पति बोले नहीं सर, मेरे आस पास से भी पता लगा लिजिए कि मुझे मोटर चलाना नहीं आता है.. फिर पुलिस बोली ठीक हैँ आप अपनी साइकिल से ही चलिये थाने पर. वहा थाना के cctv निगरानी में रहिएगा तो ये लोग आप लोगों को केस में नहीं फंसा पायेंगें. फिर आगे थाना की गाड़ी गई और पीछे से मेरे पति साइकिल से वहां गए. इसकी जाँच जदिया थाना मैं लगे cctv कैमरा से भी किया जा सकता हैँ. वे कहती हैं कि मेरे परिवार वालो को घटना के बारे में कुछ पता नहीं था. अगर पता होता तो मेरे पति खुद से थाना पर क्यों जाता. बात भी सही है. डरा हुआ व्यक्ति थाना क्यों जायेगा? खैर अर्चना देवी कहती है कि जदिया थाना ने मेरे पति को एक रोज बैठाकर रखने के बाद 20 सितंबर को रात करीब 10.30 बजे पिपरा थाना भेज दिया.. जहां पिपरा थाना ने अगले दिन 21 को मेरे पति को जेल भेज दिये. जबकि मेरे ससुर नारायण साह, पति मनोज साह गांव के ही दीपक साह पिता स्वर्गीय रामेस्वर साह के खेत में मोटर लगाकर पटवन कर रहे थे. इस बात की पुस्टि वहां बगल के खेत मै मोजूद बेचन साह और बिंदेश्वरी साह करेंगे. वे अपने पति का मोबाइल नम्बर देकर कह रहीं हैं कि इसका लोकेशन भी पता कर सकते हैँ. अर्चना देवी तिसरे आरोपी रंजन कुमार साह को लेकर कह रही है कि मेरा देवर रंजन कुमार साह प्राईवेट वेलस्टार साइक्रो फाइनेंस लिमेटेड की शाखा छातापुर में सेल्स ऑफिसर पद पर काम करते हैं.
घटना के दिन वह चुंन्नू थाना छातापुर फिर मिर्दोल थाना नरपत गंज, उसके बाद कमात कुशनगंज और अंत में मीरापट्टी गाँव में लोन वितरण का काम कर रहे थे. उसी समय घर पर थाने से पुलिस आई और मेरे देवर से भी पुछ ताछ की. मेरा देवर बोले की मैं ड्यूटी पर था. फिर उसने वहां के पड़ौसी से पुलिस को बात भी करवाए. वे आगे कहती हैं कि मेरा दूसरा देवर शशि सुमन गुप्ता जो SSB के जवान हैं. 19 सितंबर को वे जम्मू और कश्मीर ड्यूटी पर तैनात थे. इसका पता शशि सुमन के उपस्थिति प्रमाण पत्र और ऑफिस से भी लगाया जा सकता है. तो वहां से ललन साह, महेन्द्र साह, योगेन्द्र साह और पवन साह को कैसे गोली मार सकते है. सवाल बिल्कुल सही उठा रहीं हैं.
वहीं अर्चना देवी अभी तक सबसे बड़ा सवाल उठा रहीं है. वे आवेदनकर्ता को ही गलत बता रहीं हैं. वे कह रही हैं कि घटना के समय आवेदनकर्ता उमेश साह वहां स्थल पर ही मौजुद नहीं थे. वे घर पर थे. जब उसे घटना की जानकारी मिली तो गांव के ही चौकीदार मो. नवाब के छोटा भाई मोहम्द अजमेर की गाड़ी से सभी को देखने हॉस्पिटल पंहुचे. इसकी पुष्टी के लिए रास्ते में लगे cctv कैमरे की जाँच कर सकते हैं साथ ही अजमेर के मोबाइल के लोकेशन का भी पता कर सकते हैं. और शशि सुमन बताते हैं कि अजमेर ने थाना अध्यक्ष जदिया और DSP के सामने इस बात को स्वीकारा है कि उमेश साह घटना के बाद घर से मेरे साथ घायलों से मिलने अस्पताल पहुंचे हैं. अर्चना देवी कहती हैं कि जब वह स्थल पर मौजूद ही नहीं थे तो कैसे देख लिया की गोली मेरे सगे संबंधि ने चलाई है. मेरे दियाद से हमलोगों का पुश्तैनी जमीनी विवाद चल रहा है. जहां मामला कोर्ट में लंबित भी है. जिसे लेकर ये लोग हमेशा झुठे केस में हमलोगों को फंसाने के लिए षडयंत्र रचते रहते हैं.
अब सवाल उठता है कि अगर इस घटना को इन लोगों ने खुद से अंजाम नहीं दिया तो फिर इसे किसने किया. और सबूतों के अनुसार अगर आवेदनकर्ता झूठा साबित हुए तो वे किसे बचाना चाहते हैं. इस घटना के मास्टर मांइड आखिर हैं कौन हैं? क्या सही और क्या गलत है पुलिस के लिए बड़ा चुनौती है. ऐसी बात नहीं है कि वहां गोली नहीं थी. इसे लेकर मैंने पिपरा थाना अध्यक्ष को कॉल किया था लेकिन उनका सरकारी नंबर बंद जा रहा था.. फिर मैंने जदिया थाना अध्यक्ष को कॉल मिलाया, उनसे मेरी बात हुई. उन्होंने बताया कि घटना सही में हुआ था. 8 राऊंड गोली चली थी. यानि घटना हकिक़त में घटित हुआ है.. लेकिन अपराधी कौन है ये बड़ा सवाल है. हम पुलिस प्रशासन से उम्मीद करते हैं कि वे सही क़ातिल तक पहुंचे और उसे गिरफ्तार कर जेल तक पहुंचाए.