“हिट एंड रन” मामले के नए कानून के खिलाफ जारी ट्रक ड्राइवरों की देशव्यापी हड़ताल अब खत्म हो गई है. हड़ताल के बाद जब देशभर में लोगों की दिक्कतें बढ़ने लगी तो केंद्र सरकार तुरंत हरकत में आई और फिर केन्द्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने मंगलवार को ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की। फिर बाद में देर शाम मीडिया से बातें करते हुए कहा कि सरकार यह बताना चाहती है कि ये नए कानून और प्रावधान अभी लागू नहीं हुए हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिता के मसले पर हमारी मुलाकात और बातचीत हुई, अब हमें कोई दिक्कत नहीं है. सारे मसलों का समाधान हो गया है। इस हड़ताल के खत्म होने से लोगों को बड़ी राहत मिली है क्योंकि इसकी वजह से कई राज्यों में सप्लाई चेन बुरी तरह बाधित हुई थी और कई जगहों पर पेट्रोल और डीजल की किल्लत हो गई थी.
अब सवाल उठता है कि इस तरह “हिट एंड रन” कानून में कठोर बदलाव अचानक था या फिर इसके पीछे कि कहानी कुछ और थी? आज इसे विस्तार से समझेंगे। सबसे पहले यह जान लें कि “हिट अँड रन” का अर्थ क्या है और इसे लेकर पहले भारतीय कानून में सजा का क्या प्रावधान था?
“हिट एंड रन” का यहाँ अर्थ होता है गाड़ी से ठोकर मारना/ या कुचलना और भाग जाना। ऐसे सड़क हादसे देशभर में हर साल लाखों कि संख्या में होते हैं। लाखों परिवार बेवजह अनाथ हो जाते हैं। और सबसे दुख कि बात यह है कि सही जानकारी के अभाव में पीड़ित परिवार को कभी इंसाफ नहीं मिल पाता है। आपको कुछ आंकड़ा बताते हैं। जिसे जानकार आप कि आँखें फटी कि फटी रह जाएंगी।
Ministry of Road Transport and Highway यानि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार के एक आंकड़े के अनुसार, सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े काफी चौंकाने वाला है। भारत में साल 2022 में कुल 4 लाख 61 हजार से ज्यादा सड़क हादसे हुए. जिनमें 1 लाख 68 हजार लोगों की मौत हो गई. इस साल रोज 1264 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 462 लोगों की मौत हो गई. हर घंटे के हिसाब के देखें तो 53 सड़क दुर्घटनाएं हर घंटे हुईं और इनमें से 19 लोगों की मौत हो गई. अब अगर हर मिनट सड़क दुर्घटनाओं को देखें तो भारत में हर एक मिनट में सड़क दुर्घटना में तीन लोगों की मौत होती है. हर साल मौतें और सड़क दुर्घटनाओं का ये आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है.
इसी प्रकार 2021 में 1,53,972, 2020 में 1,38,383, 2019 में 1,58,984, 2018 में 1,57,593, 2017 में 1,50,003, 2016 में 1,51,192, 2015 में 1,46,555, 2014 में 1,39,671, 2013 में 1,37,572, 2012 में 1,38,258 मौतें सिर्फ सड़क हादसे में हुई है।
मैंने आपको ये आंकड़े सिर्फ पिछले 10 साल का बताया है। उससे भी पीछे जाएंगे तो आपको देखने को मिलेगा कि हर वर्ष भारत में एक लाख से अखिक व्यक्ति कि मौत सिर्फ सड़क सड़क हादसे में होती है। अब एक व्यक्ति के परिवार में कम से कम 5 सदस्य होता है। अब उसे जोड़ेंगे तो आपको पता चलेगा कि देश में हर साल 6 से 7 लाख लोग अनाथ और बेसहारा हो जाते हैं सिर्फ रोड एक्सिडेंट में। और ये सब कुछ होता है लापरवाही, ओवर स्पीडिंग और जानकारी के अभाव में। इसमें से ज़्यादातर मामले में पुलिस को सही गाड़ी वाले कि जानकारी नहीं मिल पाती है। थर्ड पार्टी क्लैम लाभ से पीड़ित परिवार वंचित हो जाते है। जिससे अधिकतर परिजनों को कभी इनसाफ ही नहीं मिल पाता है।
अब आपको बताते हैं कि “हिट एंड रन” मामले में अभी तक जो देश में कानून था वो क्या है?
पुराना कानून:
इस मामले में आईपीसी की धारा 279 (यानि लापरवाही से गाड़ी चलाना), 304A (यानि लापरवाही के कारण मौत) और 338 (जान जोखिम में डालना) के तहत मामला दर्ज किया जाता है। आरोपी को दो साल की सजा मिल सकती है। और सभी धाराओं में आसानी से कोर्ट से जमानत मिल जाती है। इसके अलावा किसी ख़ास मामले में आईपीसी की धारा 302 भी जोड़ी जाती है।
अब आपको “हिट एंड रन” मामले के नए कानून में प्रावधान को बताते हैं। नए कानून के अनुसार “हिट एंड रन” मामले को BNS यानि भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 के तहत रखा गया है। जिसे दो सब-सेक्शन में बांटा गया है।
नया कानून: भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 “हिट एंड रन” मामले की धारा,
पहला: सब-सेक्शन 106 (1) और दूसरा सब-सेक्शन 106 (2)।
अब सब-सेक्शन 106 (1) और सब-सेक्शन 106 (2) को समझिए। “हिट एंड रन” मामले में सब-सेक्शन 106 (1) वहाँ लगाया जाएगा जब व्यक्ति घटना के तुरंत बाद किसी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को लापरवाही से गाड़ी चलाने से मौत की घटना की रिपोर्ट करता है, तो उस पर सब-सेक्शन 106 (1) के तहत कार्रवाई होगी। वहीं दोषी साबित होने के बाद उसे अधिकतम 5 साल तक की सजा मिल सकती है। हालांकि सब-सेक्शन 106 (1) को अभी एक जमानती अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
दूसरा:
सब-सेक्शन 106 (2): ये सब-सेक्शन उस पर लगाया जाएगा जब व्यक्ति घटना के तुरंत बाद किसी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को लापरवाही से गाड़ी चलाने से मौत की जानकारी दिये बगैर गाड़ी लेकर वहाँ से भाग जाता है। वहीं दूसरी तारफ पीड़ित व्यक्ति की हादसे में मौत हो जाती है तो उसपर सब-सेक्शन 106 (2) लगाया जाएगा। इसके तहत दोषी सीध होने पर अधिकतम 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। वहीं रिपोर्ट के अनुसार “हिट एंड रन” मामले में जो प्रावधान बढ़ाया गया है वह सुप्रीम कोर्ट के ऑब्जरवेशन के तहत लिखा गया है.l सुप्रीम कोर्ट ने एकाधिक मामले में कहा है कि वाहन चालक जो लापरवाही से गाड़ी चलाते हैं और सड़क पर दुर्घटना करके जिससे किसी की मौत हो जाती है, वहां से भाग जाते हैं. ऐसे लोगों के ऊपर कार्रवाई सख्त होनी चाहिए.l हालांकि देशभर में विरोध होने के बाद इस कानून को फिलहाल के लिए रोक दिया गया है। इस कानून को लेकर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह का तर्क था कि सड़क पर हादसा होने के बाद गाड़ी चालक पीड़ित व्यक्ति को तड़पड़े हुए वहीं छोड़ भाग जाते हैं जिससे हर वर्ष हजारों कि संख्या में बेगुनाह लोगों कि मौत हो जाती है। उसके परिवार अनाथ हो जाते हैं। जानकारी के अभाव में उस पीड़ित व्यक्ति के परिजनों को इंसाफ नहीं मिल पता है। जिसके बाद उन्हें जिंदगी भर अफसोफ़ रहता है।