बिहार के सुपौल में नर्स और ममता को 500 रुपये नहीं मिला तो बच्चा ही बदल दिया

MD IMRAN I WeeHours News Updated on: September 26, 2024 बिहार : सुपौल के एक सरकारी अस्पताल में प्रशव के बाद दिन के उजाले में नर्स ने बच्चा बदल दिया. जहां बच्चे का माता पिता और उसके रिश्तेदारों ने अस्पताल में हंगामा किया. साथ ही पंचायत के सरपंच सहीत कई अन्य प्रतिनिधियों ने अस्पताल के प्रशासन से सवाल किया. तब जाकर कुछ घंटे बाद बच्चे को सही सलामत बरामद किया और उसे उसके माता पिता को सौंप दिया. मिली जानकारी के अनुसार मामला बुधवार का है जहां जिले के अनुमंडल अस्पताल त्रिवेणीगंज में. परसागढ़ी दक्षिण पंचायत निवासी कुन्दन मंडल ने पत्नी संजा देवी को तीसरे संतान के लिए भर्ति कराया. जहां बुधवार को दिन के करीब डेढ़ बजे बेटा पैदा हुआ. यह नवजात कुन्दन मंडल और संजा देवी का दो बेटीयों के बाद तीसरा संतान था. सभी खुश थे. खुशी में आकर लड्डू बांटने लगे. लेकिन ये खुशी उस वक्त गम में बदल गई जब नर्स और ममता को खुश करने के लिए 500 रुपए नहीं दिए. बच्चे की नानी कहतीं हैं कि बच्चे को ICU में रखने के लिए नर्स ने मुझसे 500 रुपए मांगे. मेरे पास डेढ़ सौ रुपए था वो उसे दे दिया और बाकि के बचे रुपए लेने के लिए मैं अस्पताल से बाहर गईं. लौटकर वापस आईं तो बच्चे को कपड़े में लपेटकर मुझे ममता ने पकड़ा दिया. जहां बाद में कपड़ा खोलकर देखा तो नवजात बेटे की जगह बेटी थी. फिर काफी हंगामा किया तो सभी मदद के आगे आए. वहीं इसे लेकर बच्चे कि मां संजा देवी कहती हैं कि ममता और नर्स ने मुझसे पूछा. कि तुम्हें कितने बेटे हैं. मैने जवाब दिया, मुझे पहले से दो बेटीयां हैं बेटे नहीं थे. ये मेरा पहला बेटा है. फिर नर्स ने बच्चे को मेरे पेट पर दिया. थोड़ी देर बाद बाहर ले गई जहां रुपए नहीं देने के कारण बेटा बदलकर बेटी दे दिया. इधर बच्चे के पिता कुंदन मंडल, दादा रधुवीर मंडल इस घटना को लेकर आक्रोशित दिखे. साथ ही समाज की महीलाऔं में अस्पताल प्रसाशन के प्रति नाराजगी दिखी. जहां कुंदन मंडल ने कहा कि पंचायत के युवा सरपंच प्रतिनिधि एजाज आलम का हम शुक्रिया अदा करते हैं जिनके अथक प्रयास से मेरे बेटे को बदेरवा गांव से वापस लाया. अगर समय पर इसने मदद नहीं किया होता तो आज मुझे मेरा बेटा वापस मेरा घर नहीं लौटता. साथ ही उन्होने कहा कि हम नर्स और ममता पर कानूनी कारर्रवाई करेंगे. बता दें कि सुपौल के कई अस्पतालों पर आए दिन लापरवाही का इल्जाम लगता रहा है. कई सारे मामले ऐसे भी प्रकाश में आए हैं जहां प्रशुता की जान तक चली गई है. सरकारी अस्पतालों में महिलाऔं की डॉक्टर गाइनेकोलॉजिस्ट की कमियों के कारण. अधिकतर नर्स और ममता जैसी कर्मी प्रशव करवाती हैं. जिससे कभी कभी पेशेंट की मौत तक हो जा रही है. और अब इतने बड़े काले कारनामे का उजागर होने के बाद उम्मीद है कि बिहार के स्वास्थ्य विभाग को प्रयाप्त सबूत मिल गए हैं. जहां पीडित परिवार और देश की जनता प्रशासन से इंसाफ की उम्मीद रखते हैं और संबंधित दोषीयों पर उचित कार्यवाही करने की इंतेजार कर रहे हैं.