मोहम्मद इमरान।दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून यानि CAA एक ऐसा कानून है जो विदेशी नागरिकों को सीधे खुद ब खुद नागरिकता नहीं देता है बल्कि उन्हें आवेदन करने के लिए योग्य बनाता है। इसे आप ऐसे समझिए। अगर आपको डॉक्टर बनाना है तो उसके लिए आपको neet एक परीक्षा होता है उसे पास करना पड़ेगा। जब आप उस उस परीक्षा को पास कर जाएंगे तो डॉक्टरी कि पढ़ाई के लिए आप योग्य बन जाएंगे। आपका किसी कॉलेज में एड्मिशन हो जाएगा। वहीं अगर आप इसे फ़ेल कर जाते हैं तो आप डॉक्टर नहीं बन पाएंगे। ठीक उसी प्रकार देश का नागरिकता प्राप्त करने के लिए आपको CAA पास करना पड़ेगा, आपको दस्तावेज़ यानि कागजात दिखानी पड़ेगी, अगर उचित कागजात दिखने में आप असमर्थ यानि विफल साबित हुए तो आपको नागरिकता नहीं मिलेगी। वहीं इसे लेकर देश का संविधान क्या कहता है उसे भी जानते हैं। नागरिकता कानून, 1955 के मुताबिक अवैध प्रवासियों को भारत की नागरिकता नहीं मिल सकती है। अब अवैध क्या है? इसे दो तरह से माना जाता है पहला: उनलोगों को अवैध प्रवासी यानि बाहरी माना गया है जो भारत में वैध यानि सही यात्रा दस्तावेज जैसे पासपोर्ट और वीजा के बगैर किसी बार्डर से देश में घुस आए हों। या फिर दूसरा, वैध दस्तावेज यानि सही पासपोर्ट और वीजा के साथ तो भारत में आए हों लेकिन उसमें उल्लिखित अवधि यानि जीतना समय के लिए वीजा वैध था उससे ज्यादा समय तक यहां रुक जाएं। अब CAA ही एक ऐसा process है जिसके माध्यम ऐसे विदेशी लोगों को भारत में नागरिकता प्राप्त करने का रास्ता देता है।
क्या हैं प्रावधान? पहला प्रावधान जन्म से नागरिकता का है.
भारत का संविधान लागू होने यानी कि 26 जनवरी, 1950 के बाद भारत में जन्मा कोई भी व्यक्ति 'जन्म से भारत का नागरिक' है. इसके एक और प्रावधान के अंतर्गत 1 जुलाई 1987 के बाद भारत में जन्मा कोई भी व्यक्ति भारत का नागरिक है, यदि उसके जन्म के समय उसके माता या पिता (दोनों में से कोई एक) भारत के नागरिक थे.
दूसरा प्रावधान वंशानुक्रम या रक्त संबंध के आधार पर नागरिकता देने का है.
इस प्रावधान के अंतर्गत एक शर्त ये है कि व्यक्ति का जन्म अगर भारत के बाहर हुआ हो तो उसके जन्म के समय उसके माता या पिता में से कोई एक भारत का नागरिक होना चाहिए.
दूसरी शर्त ये है कि विदेश में जन्मे उस बच्चे का पंजीकरण भारतीय दूतावास में एक वर्ष के भीतर कराना अनिवार्य है. अगर वो ऐसा नहीं करते तो उस परिवार को अलग से भारत सरकार की अनुमति लेनी होगी.
इस प्रावधान में माँ की नागरिकता के आधार पर विदेश में जन्म लेने वाले व्यक्ति को नागरिकता देने का प्रावधान नागरिकता संशोधन अधिनियम 1992 के ज़रिए किया गया था.
नागरिकता कानून 1955 के अनुसार वैध और अवैध का फंडा साफ था। सभी धर्मों के लिए समान नीति थी। उसमें हिन्दू/ मुस्लिम/ सीख/ ईसाई/ जैन/ बोध/ फारसी इत्यादि के लिए एक ही कानून था लेकिन दूसरी बार 2019 में जब PM नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र में सरकार बनी तो उसने नागरिकता संशोधन कानून यानि CAA में बदलाव किया गया। इस नए संशोधित कानून के तहत भारत के तीन पड़ोसी मुस्लिम देश- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिम प्रवासी यानि मुस्लिम प्रवासियों को छोडकर बाकी 6 समुदाय हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी को भारत की नागरिकता देने के नियम को आसान बना दिया. इससे पहले भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए किसी भी व्यक्ति को कम से कम 11 साल तक भारत में रहना जरूरी था. वहीं नागरिकता संसोधन अधिनियम 2019 के तहत इस नियम को उक्त 6 समुदाइयों के लिए और आसान बनाते हुए नागरिकता हासिल करने की अवधि को 1 से 6 साल किया गया है। यानि मुस्लिम को छोडकर जो प्रवसी वैध या अवैध तरीके से इस देश 1 साल से लेकर 6 साल तक बिता दिये हों और वे तीनों में से किसी यानि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बंगदेश में से किसी भी देश से धार्मिक उत्पीड़न की वजह से यहाँ भारत में शरणार्थी बने गैर वे गैर मुस्लिम है तो वे CAA के माध्यम अपनी नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। सरकार के इस संशोधित कानून को लेकर देशभर में जमकर विरोध हुआ। 2019-20 में इस कानून को लेकर देश में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली. सुप्रीम कोर्ट में 200 से ज्यादा जनहित याचिकाए डाली गईं। सियासी पार्टियों ने भी इसका विरोध किया। सभी विपक्षी पार्टियों का कहना हुआ कि इसमें संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। जो समानता के अधिकार की बात करता है.
लेकिन मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने इसे लेकर लगातार स्थिति साफ रखी. इधर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जनवरी 2020 के दूसरे सप्ताह तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा था. हालांकि, कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए लागू प्रतिबंधों के कारण ये मामला सुनवाई के लिए नहीं आ सका, क्योंकि इसमें बड़ी संख्या में वकील और वादी शामिल थे. बाद में कोरोना (Corona) को लेकर CAA अधर में लटक गया और आज तक लागू नहीं हो पाया है. लेकिन अब जाकर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया की नागरिकता संशोधन कानून लागू होकर रहेगा।