पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपई कि कथन शायद आपको याद न हो तो एक बार फिर से आपको याद दिला दूँ । उन्होंने सदन में कहा था:
"हमने कभी सत्ता का लोभ नहीं किया , हमने अगर कोई लोभ किया तो सिर्फ हमारे देशवासियों कि भलाई का । में उनलोगों में से नहीं हूँ जो सत्ता के लिए आम जनता कि बलि चढ़ा दे । सत्ता तो आती है और जाती है । सरकारें ऐसे ही बनती रहेंगी और बिखरती रहेंगी । मगर देश का एक भी जनता ना खुश हुआ तो मनो हमरी सारी कोशिशे बेकार गईं।"
लेकिन आज तो हमारे देश के महान नेतागण का क्या कहना । आरोप- प्रत्यारोप गढ़ना तो राजनेताओं की पुरानी प्रचालन है । जिसमे सुधार करने कि बजाय , इससे जो जितना बड़ा आरोप दूसरों पर गढ़ सकता है , वह उनता ही बड़ा नेता कहलाता है । लेकिन इन सभी के बीच मोहरा बनती है आम जनता । जिसे दो वक़्त कि रोटी के लिए न दिन कि फिकर होती है और न ही रात कि । जिसे अपने फायेदे के लिए हर पार्टी या नेतागण इस्तेमाल करने से नहीं चुकते है । और यह मासूम जनता किसी कि भी बहकावे में आसानी से आ जाते है ।समय पड़ा तो देश के नाम पर तो कभी धर्मं के नाम पर । कभी तिरंगे के नाम पर ,तो कभी राष्टगान के नाम पर । कभी गाय के नाम पर तो कभी गौ मांस के नाम पर । कभी मंदिर के नाम पर तो कभी मश्जिद के नाम पर । और ये मासूम जनता उनके बहकावे वे आसानी से आ भी जाते है । क्यूंकि सामने वाले को इनका कमजोरी बखूबी पता है । उन्हें पता है भले ही घर में दो वक़्त का खाना नहीं है मगर धर्मं कि बात हो तो वही लोग पहले लाइन में होंगे । क्यूंकि उनके आस्था का सवाल है । बड़े लोगों को कभी भी हमने धर्मं के नाम पर लड़ते नहीं देखा । हाँ जरूरत पड़ी तो लड़ा सकते है ,क्यूंकि वो पढ़े लिखे समझदार लोग होते है ।
हमने देश के बड़े लोगो के घर में झांक कर देखा । जहाँ उनके घर के एक कोने में मंदिर भी मिली तो दूसरी कोने में मस्जिद भी । एक कोने में गीता मिली तो दुसरे में कुरआन और वह भी एक दिन के लिए नहीं बलकि सालो से चलता आ रहा है । लेकिन उनके बीच इस बात को लेकर आपस में कभी भी लड़ाई नहीं हुई । क्यूंकि, वहां मानने वाले एक दुसरे कि धर्मं की इज्ज़त करते है । आखिर करे भी क्यूँ न दोनों का मकसद तो एक ही है अल्लाह , भगवन कि इबादत या पूजा करना । तो लड़ाई किस बात कि होगी।
क्या मिलता है उन्हें एक दुसरे की हत्या करके या उनके श्रध्दा या फीलिंग के साथ खिलवार करके । जबकि ना तो कहीं कुरआन में लिखा है ना ही गीता में लिखी है , "किसी मासूम इंसान का बध्द करो तो तुम्हे ज़न्नत मिलेंगी या स्वर्ग मिलेगा ।" क्यूंकि हत्यारा का सजा दुनिया में भी ज़रूरी है और मरने के बाद भी । उसे कभी माफ़ी नहीं मीलेगी चाहे वो सो कॉल्ड धर्मं के नाम पर ही क्यूँ न हो ।
मै यह सारी बाते इसलिए कर रहा हूँ क्यूंकि आज देश जिस तरफ जा रहा है, वह कहीं न कहीं दर्बदी की आसार दिख रही है । आज कोई भी त्यौहार खाली नहीं जाता जिसमे कोई बर्बाद न हुवा हो । चाहे जान की छति या माल का । आज थोड़े ही दिन पहले राम नवमी का त्यौहार हरौल्लास से उत्तर पूर्व भारत में मनाया गया और मनाये भी क्यूँ नहीं ये खुशियों का त्यौहार है । लेकिन जो हालत हमारे सामने पैदा हुए है ,शायद अब हम इसकी अनुमान नही लगा सकते । सिर्फ पशिम बंगाल में तीन लोग मरे और कई लोग घायल हुए है । बिहार में लाखों कि छति हुई है । हर पार्टी नेतागण एक दुसरे पर इसका आरोप गढ़ रहे है । एक दुसरे कि खिचाई कर रहे है । लेकिन किसी ने नहीं कहा ये निंदनीय है और आगे से एसी गलती नहीं हो इसके लिए कोई क़ानून या इसका कोई मजबूत समाधान निकालें नहीं ...नहीं... । आज कल हर त्यौहार पर तलवारें निकलती है हथ्यार निकाले जाते है। जेसे ही छोटी बड़ी बहस हुई कि दे मरो क्यूंकि भीर कि कोई शक्ल नहीं होती । कानून के साथ ऐसे खेलते है मनो कानून अपनी जागीर हो । अरे खुशियों में लड़ाई का क्या मतलब । यह कोई युद्ध का बिगुल थोड़े फुका है जो युद्ध के लिए हथियार निकाल लिए । यह पहली बार नही है जब इस त्यौहार को ख़ुशी - ख़ुशी मनाया गया । मुझे याद है जब में दस साल का था तब मेरी अम्मी मुझे दस रूपये देकर बोली थी ये तेरे लिए अलग से है अगर तेरे अब्बू रामनवमी मेले में किसी के साथ व्यस्थ हो जाये तो तुम कुछ खा लेना । लेकिन उस दस रूपये से में मेला घूम भी लेता था और अम्मी के लिए कुछ खरीद भी लेता था । और घर जाकर उस मेले कि सारी बाते बड़े ख़ुशी से बताया करता था । लेकिन आज बीस साल बाद अगर वही मेला फिर से आती है तो । ही अम्मी बोलती है बेटे अगर घर में ही रहते हो ठीक होता अब माहोल बिगड़ गया है । यह सिर्फ एक त्यौहार के लिए नहीं बोलती हर त्यौहार पर एसा ही जवाब मिलती है । होसियार रहना क्यूंकि हमें दुसरे देश से डर नहीं है , हमने तो आपस में ही इतनी नफरते फैला रखी है कि कोई और दुश्मन कि ज़रुरत ही नहीं है ।
यह बातें थोड़ी कडवी जरूर लगेंगी लेकिन सच्चाई भी तो यही है । में यह नहीं कहता सरे लोग गलत होते है लेकिन जो गलत होते है वो भी तो हम में से ही है । जो किसी के बहकावे में आकर एक दुसरे की लहू के प्यासे हो जाते है । फिर से में पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपई सर कि कही बातों को दोहराना चाहूँगा । सरकारें ऐसे ही बदलती है और बदलती रहेंगी । सबसे पहले मुग़ल आए और उन्होंने लगभग सात सो साल तक शासन किया। फिर अंग्रेज आए वो भी दो सो साल तक शासन किया । फिर कांग्रेस ने सत्तर साल तक शासन किया । अब बीजेपी सरकार आई वो शासन कर रही है । वो भी दस बीस साल शासन करेंगी फिर कोई और आयेंगे । एक बात तो तय हो गया जो आया वो गया । आज हम है कल हमारे बच्चे रहेंगे परसों उसके बच्चे । दुनिया इसी तरह चलती आई है और ऐसे ही चलेंगी । लेकिन हमें चाहिए कि , जेसे ऊपर वाले ने सब को एक बनाकर दुनिया में भेजा जिसका कोई जाती या धर्म बनाकर नहीं भेजा, वेसे ही हम एक दुसरे कि इज्ज़त करें । हमें अगर इन्सान में जन्म दिया तो कुछ इसका फाएदा उठाये । चूंके गलत तो गलत ही होता है दुनिया भले माफ़ कर दे लेकिन अल्लाह , इश्वर या भगवान् कभी माफ़ नहीं करेंगे । इसलिए अपने दिमाग से काम लें । आप भी जियें और दूसरों को भी जीने दें ।