अरविंद केजरीवाल सहीत मुख्यमंत्री और पूर्व उपमुख्यमंत्री चुनाव हार सकते है

MD IMRAN I WEEHOURS NEWS I दिल्ली : अरविंद केजरीवाल चुनाव हार सकते हैं. आपने ठीक सुना पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली सीट से अपना चुनाव हार सकते हैं. इतना ही नहीं कालकाजी से मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना और जंगपुरा से पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी अपना चुनाव गंवा सकते है. इसके साथ ही पटपड़गंज से अवध औझा, ओखला से अमानतुल्लाह खान और मुस्तफाबाद से आदिल अहमद खान ये साभी आप नेता और उम्मीदवार को इसबार हार का मुंह देखना पड़ सकता है. आम आदमी पार्टी को खुश खबरी सीलमपुर विधानसभा सीट से मिल सकती है. जहां चौधरी जुबैर अहमद आप के लिये सीट बचाने में कामयाब हो सतके हैं. इतना ही नहीं दिल्ली में इस बार अरविंद केजरिवाल का मुख्यमंत्री बनने का सपना अधुरा रह जायेगा इसके साथ ही दिल्ली में इस बार 27 साल बाद BJP सत्ता में वापस लौट सकती है. अब आप सोच रहे होंगे कि मैं बिना सर पैर की बातें कर रहा हुं. तो ठहरीये, आपको इसके पिछे की Chronology को एक-एक कर बताता हूं. लेकिन आगे बढने से पहले अपना परिचय दे दूं. नमस्कार, सलाम, सतकश्री अकाल जोहार मैं हूं इमरान और आप देख रहें हैं WeeHours News. पहले शुरुआत करते हैं आम आदमी पार्टी इस बार कैसे दिल्ली विधानसभा चुनाव हार सकती है इस सवाल से. इसके बाद बारी बारी से उपर दर्शाए सभी सींटों पर चर्चा करेंगे. हमारा सर्वे कहता है कि दिल्ली में रह रहे अधिकतर मिड्ल क्लास और गरीबों का झुकाव आम आदमी पार्टी पर इसलिए रहा है क्योंकि उन्हें एक हद तक बिजली, पानी, बसें, शिक्षा और ईलाज मुफ्त मिला है. ये सत्य है कि दिल्ली में रह रहे अधिकतर लोग इन्ही कारणों से अरविंद केजरीवाल से खुश रहे हैं. लेकिन इस बार आप का पासा BJP ने बड़ी लाईन खिंचकर पलट दिया है. और बाकि का कसर हिंदू वादी संगठनों ने BJP के उस बदले चुनावी मुद्दों को घर-घर जाकर प्रत्येक लोगों तक पहुंचा दिया. इस बार BJP ने हरियाणा में किये प्रयोग का दिल्ली नें उपयोग कर लिया. उनके जितने नेता गलियों और नुक्करों पर सभा कर रहे थे.. उससे भी कई गुणा अधिक हिंदू वादी संगठन के एक-एक सदस्य घर जाकर लोगों तक बातें पहुचा रहे थे. इसके साथ ही समय पर हुए महाकुंभ ने लोगों को अपनी ओर आक्रशित किया.. जहां इसका सिधा फायदा BJP को मिलता हुआ दिखा गया.. बाकि रही सही कसर कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, आजाद समाज पार्टी और अन्य छोटे-छोटे Alliance ने पुरा कर दिया. इस बार हमने देखा कि कॉंग्रेस अपना डूबती नैया बचाने और खोए हुए सम्मान को वापस पाने के लिये अपनी राजनीति को शुरु से शुरुआत किया. जहां उनका मकसद जीतने से आधिक किसी तरह आम आदमी पार्टी को कमजोर करना और हराने को लेकर नेताओं में उत्सुक्ता देखा गया. इसके साथ ही इसबार दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ थोड़ा बहुत anti incumbency देखने को मिला. कारण.. जगह जगह सीवर लीकेज का मामला, गल्ली मोहल्ले में कुड़े का अंबार मिलना.. शराब खाने को बड़े पैमाने पर आम करना जिस्से नौजवानों को काईम करने में मदद मिलना.. जगह जगह गलीयों और सड़कों का टूटा हुआ होना.. अरविंद केजरिवाल के खिलाफ दिल्ली Municipal Corporation के कर्चारियों में नाजारगी दिखी.. बस मार्सलों में अरविंद केजरिवाल पर कम भरौसा दिखना.. मुहल्ला क्लिनिकों का विफल साबित होना.. और इतना कुछ होने के बाद कुछ पढे लिखे मुस्लिम वोटरों में केजरिवाल के प्रति नाराजगी दिखाई देना. वो इसलिये क्योंकि अधिकतर जगहों पर मुसलमान कहते दिखे की अरविंद केजरीवाल चुनावी प्रचार प्रसार के दौरान मुसलमानों के मुहल्ला नहीं आए. जब भी मुसलमानों पर जुल्म हुआ तो सिर्फ कांग्रेस और असदुद्दीन ओवैसी आवाज उठाते रहे. लेकिन केजरीवाल ने ऐसा कभ नहीं किया. ज्यादातर मुस्लिम वोटर कहते दिखे कि वे यानि आम आदमी पार्टी .. BJP का भाई हैं. जहां इसका फायदा BJP ने उठाया. इसबार उन्होंने कोई गलती नहीं की. चाहे किसी को अपने पाले में लाना हो, सामने वाले को कमजोर करना हो. चुनाव से पहले लाखों वोट को अवैध बताकर चुनाव आयोग की कार्रवाई. इतना कुछ होने का बाद बाकि अलग-अलग मतदाताओं से बातें करने के बाद हमारा यानि weehoursnews.com का सर्वे कहता है कि इसबार 2020 की तरह अरविंद केजरीवाल पर लोग भरौसा नहीं जता पाये और ऐसे नाराज लोगों ने BJP को वोट कर दिया साथ ही मुस्लिमों का वोट कॉग्रेस और BJP को चला गया ऐसा हमारा सर्वे कहता है. क्योंकि इस बार कॉग्रेस का वोट शेयर बढ़ेगा. और जितने भी वोट बढेंगे वे सारे आम आदमी पार्टी के ही होंगे क्योंकि आज के दौड़ में BJP से मजबूत वोटर किसी भी पार्टी के पास नहीं है. जहां ऐसे नाराज लोगों को लगने लगा कि BJP केंद्र में भी सत्ता में है और अगर राज्य में भी आ गई तो हमारी मांगे आसानी से पुरी हो जायेगी. इसके साथ ही जिस मुफ्त खोरी के खिलाफ हमेशा से BJP रही है आखिरी समय में मास्टर स्ट्रोक खेलते हुए उसे आपने चुनावी मेनिफेस्टो में डालना ध्रुव का इक्का साबित होने वाला. क्योंकि दिल्ली में जिस बात से कुछ लोग नाराज थे उस नाराजगी को इस वादे ने खत्म कर दिये. इसलिये हमारा यानि WeeHoursnews.com का मानना है कि इसबर दिल्ली में बदलाव होगा. अब हम बातें करते हैं कि अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री आतिशी मारलेना और मनिष सिसोदिया अपनी सीट क्यों हार सकते हैं इसकी. तो इसके पिछे का कारण है नई दिल्ली से अरविंद केजरीवाल इसलिये चुनाव हार सकते हैं क्योंकि इसबार पूर्व मुख्यमंत्री शिला दिक्षित के बेटे एवं काग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित ने इस चुनाव को करो या मरो वाला बना दिया. इधर केजरीवाल के कारण पुरी दिल्ली की नजर यहीं टिकी हुई थी. इस विधानसभा सीट पर जिस प्रकार से कांग्रेस आलाकमान ने प्रचार प्रसार किया लगने लगा कि इस सीट को किसी तरह अरविंद केजरीवाल से छिनना ही है. बाकी इस बार यहां से BJP उम्मीदवार प्रवेश वर्मा ने जीत के लिये जान झोंक दिया. ऐसा माना जा रहा है कि वे दिल्ली BJP की मुख्यमंत्री का चेहरा हो सकते हैं. हमें नहीं भुलना चाहिये कि पिछले कुछ वर्षों में प्रवेश वर्मा का कद बढा है. साथ ही केन्द्र में BJP का सत्ता में रहने के कारण इनकी क्षवि हिंदू वादी नेता के रुप में उभरा है. इन सब के बीच नया साल के नाम पर जुते, साड़ी, सॉल, कंबल, मिठाई, 1100 रुपये बांटने की खबर मीडिया में चलना चुनाव को थोड़ा बहुत असर तो कर ही गया. अब केजरीवाल जी कह रहे थे कि अगर कोई दे तो ले लेना लेकिन उसे वोट न देना लेकिन सवाल यह है कि राजधानी में रह रहे सभी लोग एहसान फरामोश तो बिल्कूल भी नहीं है. इतिहस गवाह है कि दारू, मुर्गा और पैसों पर लोग छोटा मोटा चुनाव जीत लेते हैं. और यहां दिल्ली में तो शराब फ्री, मुर्दा का दाम 150 किलो.. तभी मैं सोचू कि चुनाव से पहले जिस मुर्गा का दाम 200 रुपये किलो था वे चुनाव आते-आते 150 रुपये कैसे किलो हो गया. खैर बाकि रही सही कसर संदीप दीक्षित ने पुरा कर दिया. सारे हार्ड कोर कॉग्रेसी वोटरों को संदीप दिक्षीत अपनी ओर करते दिखे. हालांकी उनकी जीतने की उम्मीद तो बेहद कम है लेकीन अरविंद केजरीवाल को वे बड़ा नुकसान पहुंचा गये. औऱ इस तरह नई दिल्ली से पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हराकर BJP उम्मीदवार प्रवेश वर्मा चुनाव जीत सकते हैं. बात रही मनिष सिसोदिया की तो इनका शराब मामले में जेल जाने को लोगों ने सिरे से खारिज नहीं किया है साथ ही यहां के पूर्व आप विधायक से लोग आज भी नाराज जल रहे हैं. क्योंकि बड़े स्तर पर लोगों का कहना हुआ कि विधायक प्रवीण कुमार ने विकास के नाम पर लोगों के खूब छकाया है जिसका खामयाजा मनिष सिसोदिया को चुकाना पड़ सकता है. यहां लोगों का कहना हुआ कि हमें किसी पार्टी से कोई लेना देना नहीं है हमे विकास से मतलब है. जिसपर आप विधायक विफल सावित हुए. इसके साथ ही तरविंदर सिंह मारवाह जो BJP से उम्मीदवार थे वे कभी कांग्रेस के कद्दावर नेता रह चुके हैं. वे लगातार तीन बार कांग्रेस से यहां से विधायक रह चुके हैं. 2013 के बाद मौका देखकर वे BJP में चले गए वहीं यहां से कांग्रेस उम्मीदवार फ़रहाद सूरी भी बड़े नेता के बेटे हैं. दिवंगत ताजदार बाबर कभी दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमिटी की अध्यक्ष भी रहीं साथ ही विधायक भी रहीं. फ़रहाद सूरी खुद भी दिल्ली के मेयर रह चुके हैं. वे मैदान में हैं. तो माना जा रहा है कि बाकि रहा सहा सकर सूरी साहब पुरा कर देंगें. जहां पूर्व मुख्यमंत्री मनिष सिसोदिया ये चुनव हार सकते हैं. अब आते हैं कालकाजी सीट पर. यहां मुख्यमंत्री आतिशी मार्रलेना के सामने BJP से रमेश बिधूड़ी और कांग्रेस से अल्का लांबा है. मिली जानकारी के अनुसार रमेश बिधूड़ी ने इस चुनाव को आन पर ले लिया है. जहां जीतने के लिये उसने एड़ी चोटी की जोड़ लगा दिया है. क्योंकि सांसद रहने के बाद हारकर विधायकी का टिकट मिलना और यहां भी नहीं जीते तो अगली बार BJP शायद इनपर दाव न खेलेगी.. तो इनके लिये ये चुनाव डू और डाई बन गया था.. बाकि सभी संगठने ने भी प्रचार प्रसार करने में इनका खुब मदद किया जिससे माना जा रहा है कि यहां से रमेश बिधूरी चूनाव जीत सकते हैं. बाकि आल्का लांबा ने भी इस बार चुनाव में जान फुक दिया. जहां कयास लगाया जा रहा है कि इस बार मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना ये चुनाव हार सकती हैं. अवध ओझा को आम आदमी पार्टी ने पटपड़गंज विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था. 2020 के चुनाव में इस सीट से मनीष सिसोदिया लड़े थे और उन्हें जीत मिली थी. लेकिन इस बार यहां से AAP ने अवध ओझा पर दाव खेला लेकिन अवध ओझा यहां बीजेपी उम्मीदवार रविंद्र सिंह नेगी के सामने कमजोर पड़ते दिखे. हमें नहीं भूलना चाहिये कि 2020 में रविंद्र सिंह नेगी के महज 3205 हजार वोट से पूर्व मुख्यमंत्री ने चुनाव हराया था. वैसे भी इस बार इनके लिये ये सीट और आसान हो गया इसके साथ ही कांग्रेस ने चौधरी अनिल कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया जो एक कद्दावर नेता हैं. इन्होंने भी चुनाव में पुरा जान झोंक दिया. वहीं पिछले कुछ सालों से मनिष सिसोदिया का जेल में रहना ने क्षेत्र में विकास में बाधा डाला जिससे लोग आप के खिलाफ दिखे. और आखिर में बात करते हैं ओखला और मुस्तफाबाद की सीट की. यहां BJP इसलिये जीत सकती है क्योंकि AIMIM उम्मीदवार ने आम आदमी पार्टी का खेल बिगाड़ दिया है. जहां इसका सीधा फायदा BJP को होता हुआ दिख रहा है. यानि आप कह सकते हैं कि इन दोनो सीट पर AIMIM ने BJP का रास्ता आसान कर दिया है. हालांकि यहा मुस्लमानो का वोट 54 फिसदी से अधिक है लेकिन जो हार्टकोर कांग्रेसी वोटर रहे हैं उन्होंने इसबार कांग्रेस को वोट देना मुनासीब समझा जहां मुस्लमानों का वोट तीन भागों में बट गया. दोनों सीट पर कुल मुस्लिम वोटों का लगभग 40 प्रतिशत वोट AIMIM और कांग्रेस ने काट लिया जिससे दोनों जगहों पर BJP चुनाव जीत सकती हैं. इसके साथ ही असदूद्दीन ओवैसी ने दोनो विधानसभा सीटों पर काफि मेहनत किया. जगह जगह मस्जिदों में नमाज पढे. लोगों को कनवेंस किया. वैसे भी CAA, NRC प्रोटेस्ट के कारण जेल गए मुस्तफाबाद से मोहम्मद ताहिर हुसैन और ओखला से शिफ़ा उर रहमान खान को मुसलमानों का सहानुभूती वोट मिले. इस बात को कोई नकार नहीं सकता. जहां इसका सीधा फायदा BJP को हुआ. इन दोनों सीटों पर इस बार हिंदू मुस्लिम हो गया. इसके साथ ही यहां कांग्रेस और BJP ने पुरा दम खम के साथ चुनाव लड़ा जहां इस बार इन दोनो सीट पर BJP को सीधा फायदा होता हुआ दिख रहा है. आखिर में इन सब के बीच आगर अरवींद केजरीवाल एवं पार्टी ने इस बार अगर दिल्ली और अपना अपना सीट बचाने में कामयाब हो गए तो लोग मानने लगगें की RSS ने अपना एक और विकल्प तैयार कर लिया है जैसा कि कई सारे राजनीतिक विषेज्ञों का मानना है.